Tuesday, September 6, 2016

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एक पुरानी,
भूली
भटकी
शर्द सी
प्यार की जरूरत पड़ती है
कवितायेँ लिखने के लिए

वो लमहा जब दिमाग
काम ना करे
और
दिल एक खामोस से
अहसास में खोया रहे

जब सब चुप हो,
उदास हो, रात हो,
सितारों से बात हो,
ताजमहल के किनारे
वो यमुना बहती रहे,
हम तुम बैठे रहें ,
शर्द हवा चलती रहे,
लम्हा जैसे थम सी जाये,
साँस जैसे रूक सी जाये

वो मिलन ही तो मिलन है जब
हम तुम ना रहे
बस एक एहसास रहे.

हमारे तुमहारे सबके दिलों में
वो प्यार जिन्दा रहे

कवितायेँ तभी मुस्कराती है

अँधेरी रातों में भी
सितारों सी चमक सी जाती है