Thursday, September 21, 2017


For The forever love



आज भी नहीं उगा है चाँद
इसीलिए
आज भी आसमान के सारे तारे
मेरा साथ देने आयें हैं

आज भी चल रही है वही ठंढी सर्द हवा
आज भी छाया है वही घना अँधेरा
और आज भी सजी है हमारी वही महफ़िल

मेरी इन हवाओं

और उन सितारों की

और आज भी

अपने घर के छत पर बैठा

अकेला मैं

बस  यही सोचता हूँ कि

चलो  अच्छा हुआ

मैं ना कह तुमसे

वो  अनकहीं बातें

नहीं तो इस

अँधेरे में

इन

हवाओ

और

उन

सितारों

का साथ

कौन  देता |

पर

मैंने कोशिस की थी

लेकिन

जब भी मैंने तुम्हें

देखा

मैंने

खुद  को

किसी अनंत में

खोता  पाया

अब तुम्ही कहो

कोई कैसे कह

सकता है

उस अनंत को

केवल

कुछ

शब्दों में

पर मैंने कोसिस

की थी

मैंने

बनाया थे अनगिनत

सब्द

आसमान के इन्हीं

असख्यं तारो से

और उसमें

संजो दिया था

अपने उसी अनंत को |

पर तुमने  कभी

इन तारों के तरफ

नहीं देखा

क्योंकि तुम्हें  कब पसंद आये थे

अँधेरी रातों के चमकते तारे

पर मैंने और भी

कोसिस कि थी

मैंने  संजो दिया था अपने उसी

अनंत को

इन्ही ठंढी

हवाओं की  हरेक सिहरन में |

ये हवाएं तुम्हारे

खिडकिओ पर दस्तक देती रही

दस्तक देती रही

पर तुमने नहीं खोले थे कभी

अपने दरवाजे अपने खिड़कियाँ |

क्योंकि  तुम्हें  कब पसंद आये थे

ठंडी हवाओं के सर्द  थपेड़े

पर आज भी संजो रहा हूँ मैं

अपने उसी अनंत को

इन हवाओ में

उन सितारों में

की सायद तुम्हें कभी ठंडी हवाओं के सर्द  थपेड़े  पसंद आने लेंगे |

की सायद तुम्हें कभी अँधेरी रातों के चमकते तारे पसंद आने लेंगे