1.
थोड़ी जिंदगी
थोड़े खवाब
और
थोड़ी कहानियों
के मानिंद
जिन्दा रहना चाहते हैं हम !
2.
दिल की बातों को
सुनने के लिए
एक ख़ामोशी चाहिये,
शायद सदिओं बड़ी,
कौन जियेगा तब तक,
क्या मेरी बात कभी
पहुँच पायेगी
तुम तक|
Roads Hope ..........
Years before, when I happened to be some sort of sensitive, I had created some paragraphs. These paragraphs are haphazard. It is not made up of polished and tuned words. Now I am missing those emotions or sensitivity that I earlier had. I have lost most of the my creatures, either forget or missed my hand notes. Now I am trying to recall my all those poems again. I hope by moving through past, I may be able to get my emotions and sensitivity back !
Sunday, June 27, 2021
Saturday, February 23, 2019
Saturday, April 28, 2018
१.
रूठ कर तुम चले जाना पर जरा ठहरो,
दर्द ज़माने ने दिये थे मुझे बहूत,
तुम्हारे बहाने से |२.
तुम्हारे दर्द ने बनाये थे दिल में कई सुराख़,
ये तो सपनो के पैबंद हैं,
जो दिल को धरकाते रहे |
3.
बुरी आदत है
किसी के दर्द का एहसास होना |
बुरी आदत है
दिल के तस्दीकिओं से
इस बाजार में बिकना |
आदतों का बदल जाना |
Monday, April 16, 2018
कठुआ, उन्नाव और बाकीं पर जितना आपको याद रहा हो/ रहे उस पर भी
मैं हर रोज अखबार पढ़ता हूँ !
उन पन्नो में,
हर रोज
न जाने कितने
रिश्तों की
मौतें होती है |
किसी माँ का बच्चा
मर जाता है,
किसी का पति
मर जाता है,
और मैं हर रोज
इंसानियत का दम घुटते हुए
पाता हूँ |
पर मुझे कोई फ़र्क़ नहीं परता,
मैं महीने के अंत में
इन सबको
कबाड़ी के भाव
बेच आता हूँ,
ताकि अगले महीने की
हत्याओं के
रखने की जगह हो
मेरे घर में
तुम्हारे दिल में|
तुम्हें पता है कि
मैं कौन हूँ ?
मैं तुम्हारा यक्ष हूँ|
मैं हर रोज अखबार पढ़ता हूँ !
उन पन्नो में,
हर रोज
न जाने कितने
रिश्तों की
मौतें होती है |
किसी माँ का बच्चा
मर जाता है,
किसी का पति
मर जाता है,
और मैं हर रोज
इंसानियत का दम घुटते हुए
पाता हूँ |
पर मुझे कोई फ़र्क़ नहीं परता,
मैं महीने के अंत में
इन सबको
कबाड़ी के भाव
बेच आता हूँ,
ताकि अगले महीने की
हत्याओं के
रखने की जगह हो
मेरे घर में
तुम्हारे दिल में|
तुम्हें पता है कि
मैं कौन हूँ ?
मैं तुम्हारा यक्ष हूँ|
मैं हर रोज अखबार पढ़ता हूँ !
उन पन्नो में,
हर रोज
न जाने कितने
रिश्तों की
मौतें होती है |
किसी माँ का बच्चा
मर जाता है,
किसी का पति
मर जाता है,
और मैं हर रोज
इंसानियत का दम घुटते हुए
पाता हूँ |
पर मुझे कोई फ़र्क़ नहीं परता,
मैं महीने के अंत में
इन सबको
कबाड़ी के भाव
बेच आता हूँ,
ताकि अगले महीने की
हत्याओं के
रखने की जगह हो
मेरे घर में
तुम्हारे दिल में|
तुम्हें पता है कि
मैं कौन हूँ ?
मैं तुम्हारा यक्ष हूँ|
मैं हर रोज अखबार पढ़ता हूँ !
उन पन्नो में,
हर रोज
न जाने कितने
रिश्तों की
मौतें होती है |
किसी माँ का बच्चा
मर जाता है,
किसी का पति
मर जाता है,
और मैं हर रोज
इंसानियत का दम घुटते हुए
पाता हूँ |
पर मुझे कोई फ़र्क़ नहीं परता,
मैं महीने के अंत में
इन सबको
कबाड़ी के भाव
बेच आता हूँ,
ताकि अगले महीने की
हत्याओं के
रखने की जगह हो
मेरे घर में
तुम्हारे दिल में|
तुम्हें पता है कि
मैं कौन हूँ ?
मैं तुम्हारा यक्ष हूँ|
Saturday, March 17, 2018
Saturday, March 10, 2018
Saturday, November 25, 2017
ये तो तुम्हारा नाम है
जो ज़िंदा हैं
इस ज़िंदगी से हम |
नहीं तो,
मौत की इबारत पर
हज़ारों आशनाये
बिखरी हुई होतीं |
यूँ तो कहने आये थे हम
हज़ारों कहानियाँ,
पर अगर एक बात कहते
तो हज़ार बात होती|
दो परों के सपनों से
मैं कई बार
उस सातवें आसमान
के पार गया,
कोई वहाँ नहीं था
हम किससे बात करते|
जिंदगी के फलसफे को
सुलझाने के फेर में
इतने उलझ गयें हैं कि
की हम
और क्या बात करते|
जो ज़िंदा हैं
इस ज़िंदगी से हम |
नहीं तो,
मौत की इबारत पर
हज़ारों आशनाये
बिखरी हुई होतीं |
यूँ तो कहने आये थे हम
हज़ारों कहानियाँ,
पर अगर एक बात कहते
तो हज़ार बात होती|
दो परों के सपनों से
मैं कई बार
उस सातवें आसमान
के पार गया,
कोई वहाँ नहीं था
हम किससे बात करते|
जिंदगी के फलसफे को
सुलझाने के फेर में
इतने उलझ गयें हैं कि
की हम
और क्या बात करते|
Thursday, October 12, 2017
Thursday, September 21, 2017
For The forever love
आज भी नहीं उगा है चाँद
इसीलिए
आज भी आसमान के सारे तारे
मेरा साथ देने आयें हैं
आज भी चल रही है वही ठंढी सर्द हवा
आज भी छाया है वही घना अँधेरा
और आज भी सजी है हमारी वही महफ़िल
मेरी इन हवाओं
और उन सितारों की
और आज भी
अपने घर के छत पर बैठा
अकेला मैं
बस यही सोचता हूँ कि
चलो अच्छा हुआ
मैं ना कह तुमसे
वो अनकहीं बातें
नहीं तो इस
अँधेरे में
इन
हवाओ
और
उन
सितारों
का साथ
कौन देता |
पर
मैंने कोशिस की थी
लेकिन
जब भी मैंने तुम्हें
देखा
मैंने
खुद को
किसी अनंत में
खोता पाया
अब तुम्ही कहो
कोई कैसे कह
सकता है
उस अनंत को
केवल
कुछ
शब्दों में
पर मैंने कोसिस
की थी
मैंने
बनाया थे अनगिनत
सब्द
आसमान के इन्हीं
असख्यं तारो से
और उसमें
संजो दिया था
अपने उसी अनंत को |
पर तुमने कभी
इन तारों के तरफ
नहीं देखा
क्योंकि तुम्हें कब पसंद आये थे
अँधेरी रातों के चमकते तारे
पर मैंने और भी
कोसिस कि थी
मैंने संजो दिया था अपने उसी
अनंत को
इन्ही ठंढी
हवाओं की हरेक सिहरन में |
ये हवाएं तुम्हारे
खिडकिओ पर दस्तक देती रही
दस्तक देती रही
पर तुमने नहीं खोले थे कभी
अपने दरवाजे अपने खिड़कियाँ |
क्योंकि तुम्हें कब पसंद आये थे
ठंडी हवाओं के सर्द थपेड़े
पर आज भी संजो रहा हूँ मैं
अपने उसी अनंत को
इन हवाओ में
उन सितारों में
की सायद तुम्हें कभी ठंडी हवाओं के सर्द थपेड़े पसंद आने लेंगे |
की सायद तुम्हें कभी अँधेरी रातों के चमकते तारे पसंद आने लेंगे
Tuesday, September 6, 2016
3 ...........
एक पुरानी,
भूली
भटकी
शर्द सी
प्यार की जरूरत पड़ती है
कवितायेँ लिखने के लिए
वो लमहा जब दिमाग
काम ना करे
और
दिल एक खामोस से
अहसास में खोया रहे
जब सब चुप हो,
उदास हो, रात हो,
सितारों से बात हो,
ताजमहल के किनारे
वो यमुना बहती रहे,
हम तुम बैठे रहें ,
शर्द हवा चलती रहे,
लम्हा जैसे थम सी जाये,
साँस जैसे रूक सी जाये
वो मिलन ही तो मिलन है जब
हम तुम ना रहे
बस एक एहसास रहे.
हमारे तुमहारे सबके दिलों में
वो प्यार जिन्दा रहे
कवितायेँ तभी मुस्कराती है
अँधेरी रातों में भी
सितारों सी चमक सी जाती है
एक पुरानी,
भूली
भटकी
शर्द सी
प्यार की जरूरत पड़ती है
कवितायेँ लिखने के लिए
वो लमहा जब दिमाग
काम ना करे
और
दिल एक खामोस से
अहसास में खोया रहे
जब सब चुप हो,
उदास हो, रात हो,
सितारों से बात हो,
ताजमहल के किनारे
वो यमुना बहती रहे,
हम तुम बैठे रहें ,
शर्द हवा चलती रहे,
लम्हा जैसे थम सी जाये,
साँस जैसे रूक सी जाये
वो मिलन ही तो मिलन है जब
हम तुम ना रहे
बस एक एहसास रहे.
हमारे तुमहारे सबके दिलों में
वो प्यार जिन्दा रहे
कवितायेँ तभी मुस्कराती है
अँधेरी रातों में भी
सितारों सी चमक सी जाती है
Tuesday, October 6, 2015
Wednesday, April 2, 2014
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