1 ......
अब हम किसको कहें तो कैसे
कैसे कैसे पल बदला
हम तुम बदले
क्या था बुरा
वो जीवन अपना
छोटी आँखें और
छोटा सपना
जीवन का वो
आवर्त भला था
छोटा था पर
कुछ अच्छा गहरा था
क्या अच्छा था
जब अंधियारा था
उस रात की गर
सुबह ना होती
हम तुम अब भी
सुबह को तकते
इस उजियारे से
मेरी मानो तो
उस उजियारे
का
भरम भला था
अब हम किसको कहें तो कैसे
कैसे कैसे पल बदला
हम तुम बदले
क्या था बुरा
वो जीवन अपना
छोटी आँखें और
छोटा सपना
जीवन का वो
आवर्त भला था
छोटा था पर
कुछ अच्छा गहरा था
क्या अच्छा था
जब अंधियारा था
उस रात की गर
सुबह ना होती
हम तुम अब भी
सुबह को तकते
इस उजियारे से
मेरी मानो तो
उस उजियारे
का
भरम भला था
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